मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

दूर रह गुनगुनाने से क्या फायदा,

जख्म दिल के दिखाने से क्या फायदा।

 

रात भर  सोचता दिल तुम्हारे लिये,

अब तड़फ कर मनाने से क्या फायदा।

 

यार बाँहो मे आया नही आज तो,

बेवजह  मुस्कुराने से  क्या फायदा।

 

दर्द से आज  गुजरी बड़ी आशिकी,

इश्क मे गुदगुदाने से क्या फायदा।

 

क्यो सहे अब तुम्हारी कज़ा आज तो,

पास आ सच बताने से क्या फायदा।

 

सोच लो अब जमाने मे खरा कौन है,

झूठ कह कर सताने से क्या फायदा।

 

संग *ऋतु के तू बैठा बड़े प्यार से,

यूँ नजर फेर गाने से क्या फायदा।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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