मनोरंजनमेरी कलम से – डा० क्षमा कौशिक by newsadminNovember 6, 20230387 Share0 मेहनत का शोर न कर, खामोशी बेहतर है, व्योम में रवि की प्रभा, बिन शोर बिखर जाती है। शोर करते है बादल, शरद के,जोर जोर से, बरसात में बरखा, बिना शोर बरस जाती है। – डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड