मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

पैसे की खातिर मंचों पर ,  क्यों फिरता मैं मारा मारा ।

सब नोट धरे रह जाएंगे ,जिस दिन फूटेगा घट प्यारा ।।

 

मैं शहर शहर में घूम रहा ,फिर भी मेरा मन खाली है ।

ये भूख लगी जो पैसे की , दुर्बल मन की कंगाली है ।

बाहर से दिखता उजियारा , अंतर्मन लालच से हारा ,

सुर साज सभी रह जाएंगे , टूटेगा तन का इक तारा ।

सब नोट धरे रह जाएंगे ,जिस दिन फूटेगा घट प्यारा ।।1

 

साहित्य सदन की महफ़िल में , मैं घूम रहा बनकर छैला ।

दर्पण में चेहरा देखा तो ,प्रतिबिम्ब दिखा उसमें मैला ।

भाड़े का टट्टू बना हुआ ,क्यों तोता रट्टू बना हुआ ,

धन साथ नहीं जा पाएगा , फूंकेगा तन को अंगारा ।

सब नोट धरे रह जाएंगे ,जिस दिन फूटेगा घट प्यार ।।2

 

बगिया यह रोक न पायेगी , मैं बना रहा जिसका माली ।

सब धरती पर रह जाएगा ,जब आएगी लेने काली ।

क्यों लगा रहा झूँठी धुन में ,गुण खोज रहा हूं औगुन में,

मरुथल में मृग सा घूम रहा , मैं थका थका हारा हारा ।

सब नोट धरे रह जाएंगे ,जिस दिन फूटेगा घट प्यारा ।।3

 

कविता जिन्दा रह जाएगी ,रह जाएंगे कुछ गीत पड़े ।

बस चित्र टंगा रह जाएगा , रोते रह जाएं मीत खड़े ।

कितना खोया कितना पाया ,”हलधर”रखना ये सरमाया ,

जिस दिन घर से अर्थी निकले, संसार बिलख रोए सारा ।

सब नोट धरे रह जाएंगे ,जिस दिन फूटेगा घट प्यारा ।।4

–  जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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