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सम्न्य दगडियों – रश्मि मृदुलिका

द्वि शब्द गढ़भूमि वास्ता,,

देवतो की भूमि गढ़ देश उत्तराखण्ड मेरू

चमकीलू  घाम मा चांदी सी चमकणु च

गंगा- यमुना यखी बटी  सदनी बोगणी  च

चार धामों की  पुण्य धरती हेरी भेरी च

भली मनखी , गोधन, शस्यश्यामलाम् यखी

वीरों की जननी मेरू उत्तराखण्ड भूमि च

शुद्ध बथौ म असीम शांति यखी च,

कखी मराल, पिक, घुघुती बसणी च

कखी घसेरी खुदेड गीतों ल घाटी गाणी च,

मंदिरों मा मृदंग ढोल घंटी धुन सुणेदी

देव भक्तों ल रस्ता सदणि आबाद च

बारा मासा भली मौसम उत्तराखण्ड म

फूलों की घाटी, बुग्याल अति सुंदर

धन्य – धन्य मेरी मातृभूमि उत्तराखण्ड च,

– रश्मि मृदुलिका पोखरियाल, देहरादून , उत्तराखंड

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