मनोरंजन

इंसानियत – राजेश कुमार झा

मानो आज इंसानों में इंसानियत भी गुम सी हो रही है।

न जाने क्यों अपनो से अपनो की दूरी हो रही है ।।

कितना मदमस्त आज इंसान खुद ही खुद में ।

अपनो से क्या करना उनकी बात तो छोड़ो यारो।।

ना जाने दो तीन दशक में ऐसा क्या हुआ।

कि इंसान की इंसानियत भी गुम सी हो रही है।

अब लोगो में पहले जैसी बात नही रही है।।

शायद अब लोगो रिश्तों की कदर नही  रही है।

पहले दूर से ही देखकर राम राम होती थी।।

अब देखकर दूर से ही मुंह फेर लेते है।।

अब नाम के बचे है सब रिश्ते नाते है।

जब देखो समय नही समय नही चिल्लाते है।।

अब शादी हो या कोई धार्मिक आयोजन बस अहसान जताने आते है।

लगता है अब लोगो की पैसे से ही रिश्तेदारी हो गई है।।

मानो इंसान की इंसानियत से भी गुम रही है।।

– राजेश कुमार झा, बीना,  मध्य प्रदेश

Related posts

गजल – रीता गुलाटी

newsadmin

अपने धुन गाते – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

“कविता कथा कारवाँ ने आयोजित किया वार्षिक साहित्यिक मेला

newsadmin

Leave a Comment