मनोरंजन

कज्जली दो नैन तेरे बिंध रहे धन प्राण मेरे – अनुराधा पाण्डेय

श्यामली के श्याम वर्ण,

कुंडल बिराजै कर्ण,

तन पर पीत वस्त्र लगे द्युतिमान हैं।

छिटके घटा से केस,

नासिका सँवारे बेस,

मद से छकी की देखो! मीठी मुसकान है।

कज्जल नयन कारे,

अधर भी अरुणारे,

योगी यति मुनि सब, करते बखान हैं।

चंचल चपल नार,

यौवन युगल भार,

खुद में निमग्न देखो,खुद का न भान है।

– अनुराधा पाण्डेय, द्वारिका, दिल्ली

Related posts

विश्वास की नींव – सुनील गुप्ता

newsadmin

गजल – मधु शुक्ला

newsadmin

77ਵੇਂ ਆਜਾਦੀ ਦਿਵਸ ਮੌਕੇ ਲੇਖਿਕਾ ਡਾ. ਫ਼ਲਕ ਸਨਮਾਨਤ

newsadmin

Leave a Comment