neerajtimes.com हनोल (उत्तरकाशी )- यदि आप सुकून चाहते हैं ,बनावट से दूर भागना चाहते हैं, एक्स्पोज़र विज्ञापन की दुनिया से उकता गए हैं, स्वयं को खोजने और फिर खो देने की ललक में हैं तो इस जगह की हवा का आलिंगन करने जाइए।
विरक्त और अनुरक्त के मध्य का हिस्सा बनिए शिव के अवतार महासू मंदिर जो उत्तरकाशी हनोल (हणोल) में स्थित है , मंदिर सम्बंधित तमाम जानकारियां नेट पर उपलब्ध हैं मैं बस अपना अनुभव सांझा कर रही हूं।
और वो ये कि न्याय का देवता कहलाएं जाने वाले इस मंदिर में जाकर मैंने अपने आप को बहुत छोटा महसूस किया मुझे अंदर से कहीं फील हुआ कि अभी स्वयं को जानने समझने में ही हम बहुत गहरे पानी में हैं तो ईश्वर परमात्मा बहुत दूर की बात है।
महासू देवता चार खंड (कमरे)भीतर सुरक्षित एवं संरक्षित हैं आशय शायद कुछ यूं होगा कि ईश्वर तक पहुंचना इतना आसान भी नहीं,
और महासू की विराट शक्ति का साक्षात दर्शन आपको किसी न किसी रुप में होता रहेगा तन पवित्र और मन आत्मा का सच्चा होना अनिवार्य है,
यहां पर किसी तरह की कोई लूट पाट नहीं है जैसे अन्य सभी धार्मिक स्थलों पर हम झेलते आते हैं।
कोई नहीं कह रहा कि एक रूपया चढ़ावा देना है, मंदिर परिसर में ही रहने खाने की बेहतरीन व्यवस्था है, ईश्वर की महिमा ही है सब खुद ही परिपूर्ण होता है।
मंदिर का दिव्य स्वरूप और मंदिर परिसर की आलौकिक छटा ऐसी है कि तस्वीरों को एडिट करने की कोई जरूरत नहीं है आपका चेहरा उस देवीय वातावरण में खुद ही चमकने लगेगा यकीन मानिएगा मैंने खुद को इतना फोटोजेनिक पहले कभी नहीं महसूस किया।
टोंस नदी का निर्मल बहाव संग संग चल रहा था अपनी ही मौज में धीमा धीमा गुनगुनाती हुई चित्त और चेतना को एकाकार करती हुई टोंस बरबस अपनी ओर खींचती ही चली जा रही थी।
चारों ओर फैला हुआ ऐसा अरण्य कि मन कुछ यूं हो रहा था इस वन में नंगें पांव कहीं दूर तक भागती चली जाऊं प्रकृति अपने भरपूर यौवन में इस घाटी में बिखरी पड़ी है और हर आने वाले यात्री को मोह रही है।
जौनसार बावर की संस्कृति को करीब से जानने का मौक़ा मिला मासूम भोले भाले लोगों से बतियायें भी, यात्रा के साथियों से मिली मुहब्बत तो यादों में रहेगी ही। क्या कहूं अब ज्यादा बस इतना कि रोम रोम अभिभूत है ,विह्वल है , ये बात तो एकदम सच है कि अच्छी किताबें, प्रभुत्व संगत और यात्राएं हमको समृद्ध बनाती हैं।
बताते चले कि हनोल महासू देवता मंदिर का निर्माण हूण राजवंश के पंडित मिहिरकुल हूण ने करवाया था। हणोल गांव, जौनसार बावर, उत्तराखंड में स्थित यह मंदिर हूण स्थापत्य शैली का शानदार नमूना हैं व कला और संस्कृति की अनमोल धरोहर है। कहा जाता हैं कि इसे हूण भाट ने बनवाया था। यहाँ यह उल्लेखनीय हैं कि भाट का अर्थ योद्धा होता हैं। ये गांव जौनसार बावर, उत्तराखंड मे पडता है तथा देहरादून से लगभग 190 किमी. और मसूरी से 156 किमी दूर है।
– ज्योत्सना जोशी (ज्योत), देहरादून , उत्तराखंड