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हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए बिना हिंदू राष्ट्र की बात कोरी कल्पना – संगम त्रिपाठी

neerajtimes.com जबलपुर (मध्य प्रदेश) –  हम हमेशा एक बात सुनते आ रहे हैं हिंदू राष्ट्र, कोई भी प्रभावशाली व्यक्ति बीच – बीच में इस बात को सार्वजनिक कर चर्चा में आ जाता है।

हमारे देश की विडंबना है कि इसका एक नाम नहीं है और न ही कोई राष्ट्र भाषा घोषित है। आज हमारी संस्कृति व भाषा लुप्त होती जा रही है इसका मुख्य कारण कि हम अपनी भाषा को रोजगार की भाषा नहीं बना पाए और अपनी भाषा में शिक्षा भी उच्च स्तरीय नहीं कर पाए ऐसे में सवाल उठता है कि अपनी भाषा अपनी बोली के बिना राष्ट्र को हिंदू राष्ट्र की बारम्बार चर्चा करना अतिश्योक्ती तो नहीं है या कुछ क्षणों के लिए सस्ती लोकप्रियता मात्र तो नही रह गई है।

राष्ट्र तभी सशक्त होता है जब उसकी भाषा सशक्त हो अपने देश की भाषाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है……महज ढोल बजा कर मजमा एकत्र किया जा रहा है……आज अंग्रेजी शिक्षा पद्धति के कारण नौनिहालों को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है….आज बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं उनमें चिंतन मनन की क्षमता शून्य हो चुकी है। हमें अपनी भाषा अपनी संस्कृति व शिक्षा पद्धति को सशक्त बनाने की जरूरत है नहीं तो ऐसे बयानों का कोई अर्थ नहीं है। – कवि संगम त्रिपाठी, जबलपुर, मध्य प्रदेश

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