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गणेश चतुर्थी – डा० क्षमा कौशिक

हे प्रभु ! हम शरण में तेरी

हमें  गह लीजिए,

पाप हर लो, हे प्रभु! बुद्धि

विमल कर दीजिए।

सत्य मग पर ही चले, ऐसी हो

मन में धारणा,

हर अवस्था में न भूले आपको,

हो कामना।

हे दया निधान ! शिवा के प्राणप्रिय

कर दो दया,

उमा,गणपति संग तुम मन में बसो

कर दो कृपा।

– डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

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