मनोरंजन

दोहे – मधु शुक्ला

चीर हरण नित हो रहे, गुनहगार है कौन।

आवारा संतान या, फिर जनता का मौन।।

 

शासक जनता को छलें, करें निरंकुश राज।

गुनहगार  है  कौन  दे, रहा उन्हें वह ताज।।

 

वृद्धाश्रम  के  आजकल, चर्चे  होते  खास।

गुनहगार है कौन क्यों, बच्चे रखें न पास।।

 

भारी  संख्या  में  अभी, होने लगे तलाक।

गुनहगार है कौन है, किसका सीना चाक।।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

पुरुष का श्रृंगार तो स्वयं प्रकृति ने किया है – सुनीता मिश्रा

newsadmin

हिंदी हैं हम – डा० क्षमा कौशिक

newsadmin

रानी दुर्गावती-जिनकी भीषण ललकार से मुगल भी थर्राते थे – हितानंद शर्मा

newsadmin

Leave a Comment