तीन रंग की राखी लेकर ,बहन आज घर आई है ।
उसके प्रेम पगे धागों से, शोभित आज कलाई है ।
महक रहा है मौसम घर का ,चहक रहा कोना कोना ,
बहुत दिनों के बाद नीड़ पर ,चिड़िया दी दिखलाई है ।
अक्सर उसकी राखी मुझको , चिट्ठी में ही मिलती थी ,
पर इस बार सुयोग हुआ वो , घर पर बैठी पाई है ।
ख़ुद की रक्षा करने का , उसने संकल्प सुनाया है ,
मुझको देश धर्म की रक्षा , की सौगंध खिलाई है ।
बचपन की यादों में दोनों ,खोए खोए बैठे है ,
बात बात पर कहती है वो, शायर मेरा भाई है ।
केतु तिरंगा सजे दिलों में ,हर घर पर ये लहराए,
रक्षा बंधन पर “हलधर” भी देता आज बधाई है ।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरदून