सावर सवरीया दिल के बतिया ना बुझे,
रास रसिया दिल दगा दे के गइल।
कहला राधा बाडू तू जनवा हमार,
रुक्मिणी के संगवा भइल प्रेमवा तोहार,
हमके निरदइया रुला के गइल।
रास रसिया दिल दगा……….।
खइला झूठी कसम काहे तु छलिया हमार,
गईला जबसे लिहला ना कबो सुधिया हमार,
सईयां निरदइया हमके नचनी नचा के गइल।
रास रसिया दिल दगा ……………….।
कइली सोरहो सिंगार बरसे सावन के फुहार,
कलपे जीयरा हमार धोआला कजरा हमार,
श्याम घतीया हमके बुझनी बुझा के गइल।
रास रसिया दिल दगा देके गइल।
– श्याम कुंवर भारती, बोकारो, झारखंड,
मोब.9955509286