आओ रीति पुरानी छोड़ें , अहंकार की भुजा मरोड़ें ।
सोया वातावरण जगाएं ,सागर लांघें नदिया जोड़ें ।।
संसद में अब गधे न आएं, केवल घोड़े ही घुस पाएं ।
खोया वैभव हमें दिलाएं ,ऐसे कर्णधार चुन लाएं ।
पत्थर बाजों के सीने पर ,उनके ही पत्थर को तोड़ें ।।
आओ रीति पुरानी छोड़ें ,अहंकार की भुजा मरोड़ें ।।1
भूतकाल को पढ़ते जाएं ,बर्तमान को गढ़ते जाएं ।
ज्ञान पताका ले धरती से ,आसमान में चढ़ते जाएं ।
अपने ज्ञान और तप बल से , सही दिशा में रस्ता मोड़ें ।।
आओ रीति पुरानी छोड़ें , अहंकार की भुजा मरोड़ें ।।2
ज्ञान और विज्ञान हमारा , सारे जग का बने सहारा ।
विश्व गुरु बनने को बैठा ,भारत देश हमारा प्यारा ।
दुनियां को रस्ता दिखलायें , वेदों का सत अर्क निचोड़ें ।।
आओ रीति पुरानी छोड़ें , अहंकार की भुजा मरोड़ें ।।3
नेताओं का सही वरण हो , सत्य अहिंसा नहीं क्षरण हो ।
निर्वाचन के महा पर्व का ,सबसे पहला यही चरण हो ।
देश धर्म की खातिर” हलधर”, वैमनस्य के घट को फोड़ें ।।
आओ रीति पुरानी छोड़ें , अहंकार की भुजा मरोड़ें ।।4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून