मनोरंजन

जीवन का सच – निहारिका झा

बीत गया जो भी पल

हाथ से फिसल गया

आये न कोई कल

आज ही सत्य है।।…..।।

माया का साथ धरे

सबसे बड़ी भूल है…2

काया तेरी नश्वर है

आत्मा जीवन्त है

आत्मा जीवंत है।।…..।।

नातों के मोहपाश

सारे यहीं छूट गए।

चल पड़ा तू जिस डगर

राह वो अनन्त है।।…..।।

राह वो अनन्त है,

काया तेरी …….।

– श्रीमती निहारिका झा

खैरागढ़ राज.(36गढ़)

Related posts

गांव की बेटी हूं – ममता जोशी

newsadmin

दीप:- संदीप की दूसरी पुस्तक “लक्ष्य” शीघ्र होगी प्रकाशित

newsadmin

मेरे रंग में रंगने वाली – सविता सिंह

newsadmin

Leave a Comment