सजन प्यार से अब पुकारे नही,
लगे आपको हम तुम्हारे नही।
करे प्यार तुमसे गँवारा भी क्यो?
अरे यार तुमसे गुजारे नहीं।
न सोचो जमाने की बातें सभी,
मुहब्बत मिले अब बिचारे नही।
हुए दूर हमसे अजी आप क्यो?
मिलो आप हमसे इशारे नहीं।
न सोचो जमाने की बाते कही,
बुरा वक्त क्योकर गुजारे नहीं।
मिले जिंदगी में गमो के धुएँ,
फँसी नाव पाये किनारे नही।
– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़