ग्रामीण जीवन किस तरह अपना बिताते।
बच्चे हमें यह बात अभिनय कर दिखाते।।
रहकर प्रकृति की गोद में सेहत सुधरती,
खाद्यान्न ताजा शुद्ध वे हर वक्त पाते।
जीवन बिताते सादगी से जो धरा पर,
अनुराग से सिंचित मनोहर गीत गाते।
ज्यादा न हों जब कामनाएँ जिंदगी में,
संतोष से परिचय तभी हम सब बढ़ाते।
जो बात बच्चे कह रहे हम सब समझते,
लेकिन नहीं उस ज्ञान के हम पास जाते।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश .