चंद्रिका चमक रही है कहीं मुझमें,
खुशबू महक रही है कहीं मुझमें,
जिंदगी धड़क रही है कहीं मुझमें,
हाँ, तुम ही हो प्रिय कहीं मुझमें,
दुनिया की परिधि से मुक्त बंधन,
आत्मा और काया से युक्त संबंध,
तुम जानो या मैं जानूँ ये भेद पिया,
प्रेम संसार में तेरा- मेरा बसेरा,
रूठना, शिकायतें, मनुहार
तुम पर थोड़ा सा अधिकार
पवित्रता का आंचल तुम मेरा,
बना रहे विश्वास का महीन धागा
काया तुच्छ है, प्रेम भेंट है|
झूठी दुनिया में सच मेरा है|
स्वीकार की चाह नहीं मुझको,
आरम्भ है,अंत की थाह नहीं मुझको,
– रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड