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मेरी कलम से – मीनू कौशिक

मन बंजारा साथी की तलाश में,

जैसे महकते सुगंध अमलतास में,

अहसासों का संदेश देश परदेश,

दूर में जो बैठा या हो यूँ पास में ।।

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मैं पुकारूँगी तुम्हें , सांसों के  अंतिम  छोर  तक ।

तपते दिवस, बैरी निशा व्याकुल विरह की भोर तक ।

आना  तुम्हें  होगा पिया जगती के बंधन  तोड़कर ,

है प्रणय संबध अपना  चिर  समय की  डोर  तक ।

– मीनू कौशिक ‘तेजस्विनी’, दिल्ली

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