हुस्न की वादियों में बसी, पहाडों की रानी मसूरी है ये।
गढ़वाल का ताज है, पर्यटकों की दीवानगी मसूरी है ये।
चौड़े पतले, टेढ़े मेढ़े, रास्तों से चढ़ते हुए बसी है ये,
जहाँ पानी भी ठंडा है और हवा भी बहती ठंडी है ये।
पर्यटन स्थलों से भरी हुई सुन्दर प्रलोभनकारी है ये,
हर प्रेम करने वालों के अटूट प्रेम की मनोहारी है ये।
डूब जाये इसकी खूबसूरती में ऐसी कलाकारी है ये,
लोगों के दिलों को जो जोड़ दे ऐसी न्यारी है ये।
– झरना माथुर, देहरादून