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ग़ज़ल हिंदी – जसवीर सिंह हलधर

कैसा लगा ये न्याय लो मारा गया अतीक ।

अपराध का पर्याय लो मारा गया अतीक ।

 

मुद्दत से तमन्ना लिए था आम आदमी ,

अब ख़त्म ये अध्याय लो मारा गया अतीक ।

 

कानून अपनी जेब में रखता था जो कभी ,

कैसे मरा असहाय लो मारा गया अतीक ।

 

आदित्य नाथ देव की ऐसी नजर लगी ,

समझो सही अभिप्राय लो मारा गया अतीक ।

 

कुछ राजनैतिक लोग तो रोने लगे मियां ,

पर खुश हुआ समुदाय लो मारा गया अतीक ।

 

भाई मरा बेटा मरा गायब है अहलिया ,

साधन हुए निरूपाय लो मारा गया अतीक ।

 

दर्ज़ा मसायल भाँप के “हलधर” कही ग़ज़ल ,

अब होत क्या पछताय लो मारा गया अतीक ।

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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