रघुनाथ लला, कर जोड़ खड़ें,
नव दीप जरा, प्रभु ध्यान धरें,
मुख जाप करें, मन प्रेम भरें,
नित शीश नवा, गुनगान करें।
फल फूल चढ़ा, गलमाल वरें,
कर थाल सजा, वर मांग रहें,
सुखशान बढ़ें, सब पाप हरें,
हर मानव मन, विश्वास बढ़ें।
सबके मुख से शुभ बात झरें,
मनमीत लगे, सब ठीक लगे,
सब चाह रहें, कल्याण करें,
भगवान सदा, जय गान करें।
जब नाम धरें, दुख दर्द भगे,
नव प्राण भरें, प्रभु आस करें,
जयगान करें, उपवास करें,
नवदीप जला, नवतान भरें।
सुख शान बढ़ें, कृतिमान बढ़ें,
इस जीवन में, सम्मान बढ़ें,
विनती करतें, हर मान बढ़ें,
दुखदर्द मिटें, चित ज्ञान बढ़ें।
जय हो जय हो, उदघोष करें,
जग पाँव पड़ें, सब पाप कटे,
पग धूर उठा, निज माथ धरें,
नतमस्तक हो, प्रभु नाम रटें।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड