जब ऋतु संगम की बेला हो
टेसू के फूल महकते हों
तरु पर झूमे कोमल पत्ते
और आम के बौर से झुके डाली
जब दूर गगन में ये पंछी
सुरमई तराना गाते हों
जब बहती है मदमस्त पवन
जब मौसम हो रंगीला सा
धरती पर छाया हो यौवन
जब बहती है मदमस्त पवन
मन में उठती है एक उमंग
यह दिवस बड़ा ही है
तब चैत्र शुक्ल की एकम को
माँ अम्बे का हो आवाहन
यह दिवस बड़ा ही है पावन
नवसंवत्सर का आरम्भन
दुनिया में खुशियां दिखती हैं
करते स्वागत नववर्ष का हम
हर घर में माँ का जयकारा
भक्ति में डूबे जग सारा
सच्चे अर्थों में होता है
मंगलमय हो नववर्ष हमारा।।
– निहारिका झा
खैरागढ़ राज.(36गढ़)