स्त्री जगत की माता होती है,
जो जगत में किसी रूप में मिलती है,
जो अपने दुःख को भूलाकर,
हर किसी का साथ निभाती है,
उस स्त्री को मैं नमन करता हूँ,
उस स्त्री को मैं नमन करता हूँ।।
स्त्री माता होती है, स्त्री बहन होती है,
स्त्री जगत में कई रूपों में मिलती है,
स्त्री अपनी संतान को ही नही ,
बल्कि दूसरो के संतान को भी अपनी संतान मानती है,
उस स्त्री को मैं नमन करता हूँ,
उस स्त्री को मैं नमन करता हूँ।।
स्त्री अपनी संतानों के प्रति,
स्त्री अपने परिवार के प्रति,अतिग्रसर रहती है,
स्त्री किसी को भी दुःख में नही देखना चाहती है,
स्त्री हर किसी का साथ निभाती है,
उस स्त्री को मैं नमन करता हूँ,
उस स्त्री को मैं नमन करता हूँ।।
©श्याम कुमार (कक्षा नवम) , मुजफ्फरपुर, बिहार