मुहब्बत का सपना दिखाया कहाँ है?
अभी हमनें उनको सताया कहाँ है?
वो कब से मिरे दिल में बैठे हैं जाने?
उन्हें भी ये मैंने बताया कहाँ है?
वो सूरत बसी जबसे आंखों में मेरी,
ज़माने में कुछ भी लुभाया कहाँ है?
ग़ज़ब का है नशा मुहब्बत का सुनलो,
चढ़ा है जिसे, होश आया कहाँ है?
जो किस्सा-ए-दिल है सो है क़ैद दिल मे,
इसे मैंनें महफ़िल में गाया कहाँ है?
अना हो गए अंजली की वो साहब,
मग़र ये समझ उनको आया कहाँ है?
– अंजली श्रीवास्तव, बरेली, उत्तर प्रदेश