तू मेरी सुबह है,
तू मेरी शाम है l
तू मेरी व्याकरण,
तू मेरी काव्य है l
तेरे पायल के झंकार , मेरे ओठों के स्वर है,
तेरे माथे की बिदिया, मेरे अलंकार है l
तू मेरी व्याकरण,
तू मेरी काव्य है l
तेरे ओठों की मुस्कान , मेरे दिल संवाद है l
तेरे हाथो के कँगना, मेरे श्रृंगार है l
तू मेरी व्याकरण,
तू मेरी काव्य है l
तेरे जुल्फों की लटाये, मेरी सुलझी पहेलियाँ
तेरी मधुमय बोली बलिये,मेरे काव्यशास्त्र है l
तू मेरी व्यकरण,
तू मेरी काव्य है l
तेरी काली काली आँखे,मेरे दिल की सावनी
तेरी गोरी गोरी बाहे, मेरे मन के शास्त्र है l
तू मेरी व्यकरण,
तू मेरी काव्य है l
तू मेरी सुबह है,
तू मेरी शाम है l
– जितेंद्र कुमार, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश