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तू मेरे ओठों का स्वर – जितेंद्र कुमार

तू मेरी सुबह है,

तू मेरी शाम है l

तू मेरी व्याकरण,

तू मेरी काव्य है l

तेरे पायल के झंकार , मेरे ओठों के स्वर है,

तेरे माथे की बिदिया, मेरे अलंकार है l

तू मेरी व्याकरण,

तू मेरी काव्य है l

तेरे ओठों की मुस्कान , मेरे दिल संवाद है l

तेरे हाथो के कँगना, मेरे श्रृंगार  है l

तू मेरी व्याकरण,

तू मेरी काव्य है l

तेरे जुल्फों की लटाये, मेरी सुलझी पहेलियाँ

तेरी मधुमय बोली बलिये,मेरे काव्यशास्त्र है l

तू मेरी व्यकरण,

तू मेरी काव्य है l

तेरी काली काली आँखे,मेरे दिल की सावनी

तेरी गोरी गोरी बाहे, मेरे मन के शास्त्र है l

तू मेरी व्यकरण,

तू मेरी काव्य है l

तू मेरी सुबह है,

तू मेरी शाम है l

– जितेंद्र कुमार, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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