कौन भला है कौन बुरा है ।
कौन अक्ष है कौन धुरा है ।।
कौन पुरी है कौन पुरा है।
कौन छुरी है कौन छुरा है ।।
अन्ना के हैं मुन्ने दोनों ।
नीलम हीरा पन्ने दोनों ।।
पांच साल से सोया सोया ।
अपनी धुन में खोया खोया ।।
देश प्रेम जग गया अचानक ।
लगा दिया आरोप भयानक ।।
पहले ने दिल्ली हथियाई ।
दूजा करता रोज बधाई ।।
दूजा राज्य सभा दीवाना ।
पहले ने कर दिया बहाना ।।
संबंधों की हुई तबाही ।
देते हैं अख़बार गवाही ।।
अलग हुए यूँ दोनो राही ।
दोनो अन्ना नेक सिपाही ।।
मौका देख गवाही तोला ।
अन्ना एक सिपाही बोला ।।
गोली को कहता है गोला ।
ना तू भोला ना वो भोला ।।
दावा उसका कथ्य सही है ।
दूजा कहता मिथ्य कही है।।
पहले वाणी घुला बतासा ।
अब हाथों में लिए गँड़ासा ।।
किया नहीं उस समय खुलासा ।
राजनीति का नंग तमाशा ।।
पंथ भिन्न पर चाह वही है ।
कविवर की भी राह वही है ।।
सिंहासन दोनो की मंजिल ।
भारत माँ की आँखें बोझिल ।।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून