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ग़ज़ल हिंदी – जसवीर सिंह हलधर

भारत महान देश है बदनाम मत करो ।

खुशहाल वक्त गर्दिशे अय्याम मत करो ।

 

चलने का नाम जिंदगी आराम मत करो ।

आतंक के लिए कभी इकराम मत करो ।

 

कसना किसी पे तंज कोई जुर्म तो नहीं ,

साहित्य की इस तान को दुशनाम मत करो ।

 

काली अमावस रात में क्या दोष चांद का ,

महताब को इस रात से गुमनाम मत करो ।

 

आया खिजां से जीत के गुलशन बहार में ,

ये मौसमी कमाल अपने नाम मत करो ।

 

उम्मीद तो कायम रखो उस आफ़ताब से ,

सहरी की थोड़ी धुंध को यूं शाम मत करो ।

 

लड़ते रहे चराग अंधेरों से रात भर,

“हलधर” शहीदे शौक पे इल्ज़ाम मत करो ।

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

 

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