भारत महान देश है बदनाम मत करो ।
खुशहाल वक्त गर्दिशे अय्याम मत करो ।
चलने का नाम जिंदगी आराम मत करो ।
आतंक के लिए कभी इकराम मत करो ।
कसना किसी पे तंज कोई जुर्म तो नहीं ,
साहित्य की इस तान को दुशनाम मत करो ।
काली अमावस रात में क्या दोष चांद का ,
महताब को इस रात से गुमनाम मत करो ।
आया खिजां से जीत के गुलशन बहार में ,
ये मौसमी कमाल अपने नाम मत करो ।
उम्मीद तो कायम रखो उस आफ़ताब से ,
सहरी की थोड़ी धुंध को यूं शाम मत करो ।
लड़ते रहे चराग अंधेरों से रात भर,
“हलधर” शहीदे शौक पे इल्ज़ाम मत करो ।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून