चाँदनी के जमीं पर उतारल रहे,
प्रीत नैंना नजरिया पसारल रहे।
बोल लागे मधुर प्यार मनमोहले,
रूप यौवन जवानी निखारल रहे।
रूसला पर हमेशा मनावत रली,
हर अदा नाज नखड़ा सँवारल रहे।
जिंदगी आज अंजान बेजान बा,
याद आवे घड़ी जे गुजारल रहे।
के सवांचे जताये तनीं ध्यान दी,
का बताईं उमिरिया दुलारल रहे।
आजु दुनिया लगेला तमाशा करे,
जानपइनी नशीबा बिगाड़ल रहे।
दर्द बा चोट बा हाल बेहाल बा,
होश लौटल घरौंदा उजाड़ल रहे।
रूह में प्रेम ‘अनि’ के सदाहीं बसे,
दीप बाती सजा के निहारल रहे।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड