उठी है दर्द-ए-दिल की इक लहर अभी-अभी,
आया है तेरा हसीन हुस्न मेरे नजर अभी-अभी।
कोई तो बात है तुझमें दिल तूझसे लगा बैठा,
तेरी बेरुखी से हुआ जख्मी जिगर अभी-अभी।
सह लेता मैं हर जुल्मों सितम तेरे इश्क में,
थामा हाथ गैर मुझको मिली खबर अभी-अभी।
चाहा है तुझको चाहेंगे तुमको ही उम्र भर,
रूठ कर छोड़ गया न तु जाने किधर अभी-अभी।
हर हाल मे तेरी खुशी ही चाहा था मैने सदा,
तेरी याद में छलके आंख आंसू इधर अभी अभी ।
– श्याम कुंवर भारती, बोकारो, झारखंड।