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ग़ज़ल – ऋतु गुलाटी

अब चलो प्यार से उनको भी सताया जाये,

राज दिल का अजी गाकर भी बताया जाये।

 

याद आती है हमें अब तो कहे कैसे जी,

साथ मिलकर अजी गीतों को सुनाया जाये।

 

बात दिल की अरे सुन ले तू जरा अब साथी,

हर तरह यार को भी अपने हँसाया जाये।

 

मैं हकीकत हूँ ये इक रोज बताऊँगा सच,

बेगुनाही को अजी अब न छुपाया जाये।

 

राज कितने  भी हो गहरे वो बताना अच्छा,

इन इरादों को मगर दिल से छुपाया जाए।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़

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