जीवन रूपी खेल के, कुशल खिलाड़ी बन जाओ,
कोई भी चुनौती हो, उसके साथ तुम भिड़ जाओ।
हराकर ही दम लूंगा, अपनी जिद पर अड़ जाओ,
मन से भय मिटाकर, मौत से भी तुम लड़ जाओ।
परिस्थिति जीवन में आती, कुछ ना कुछ सिखाने,
मन की कमजोरियां मिटाकर, बहादुर तुम्हें बनाने।
तुम्हारी सोई हुई हर विशेषता, जागृत हो जाएगी,
तुम्हें जिताकर आनन्द का, अनुभव भी कराएगी।
विघ्नों से लड़कर ही होगा, क्षमताओं का विकास,
जीत का साधन बनेगा, तुम्हारा ही आत्म विश्वास।
अपने और सबके लिए, जीवन पथ होगा आसान,
दुनिया में छोड़कर जाओगे, अपने अमिट निशान।
– मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान मोबाइल 9460641092