दूर तक बस्ती हमारी जा रही है ।
चाँद पर कश्ती उतारी जा रही है ।
मानते थे जो सपेरा देश मेरा
सोच ये खश्ती सुधारी जा रही है ।
जो चिड़े हैं कामयाबी से हमारी ,
सोच यह सस्ती पुकारी जा रही है ।
रास आये क्या उन्हें करतब हमारे ,
यान की गस्ती नकारी जा रही है ।
चीन भी इस कारनामे से खफा है ,
गात में जस्ती कटारी जा रही है ।
देखकर आँसूं खुशी के आ रहे हैं ,
देश की हस्ती निखारी जा रही है ।
पाक अब नापाक पूरे विश्व में है ,
चीन से दस्ती उधारी जा रही है ।
आज “हलधर”पी गए दो पेग ज्यादा ,
जश्न में मस्ती सँवारी जा रही है ।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून