मनोरंजन

गजल – ऋतु गुलाटी

वो न माने गवार क्या करते,

बन रहे होशियार क्या करते।

 

चार सू  था गुबार क्या करते,

ख़ुद को हम और ख़्वार क्या करते।

 

साथ उनका हमें मिला ही कब,

जान उन पर निसार क्या करते।

 

छोड़कर जो चला गया हमको,

उसका हम इंतजार क्या करते।

 

रोकती हूँ कही न जा अब तू,

फिर भला इंतजार क्या करते।

 

आप हमको बडा सताते हो,

फिर तुम्हे हाय प्यार क्या करते।

 

लौट कर *ऋतु न वक्त आयेगा।

फिर तुम्हें राज़दार क्या करते।

ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली चंडीगढ़

Related posts

प्रीतिमय आकाश ले लो – अनुराधा पांडेय

newsadmin

तख्ती और स्लेट – रेखा मित्तल

newsadmin

पत्रकार से दुर्व्यवहार मामले में कोर्ट ने सलमान खान को भेजा समन

admin

Leave a Comment