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दीपावली का आध्यात्मिक संदेश – मुकेश मोदी

neerajtimes.com – दीपावली घरों के साथ साथ दिलों को भी रोशन करने वाला ऐसा अनूठा त्योंहार है जो हमारे जीवन में नवीनताए, सुन्दरता और ताजगी भरी आध्यात्मिक जागृति लाने का सन्देश देता है।

पौराणिक कथा के अनुसार 14 साल के वनवास पश्चात अयोध्या में श्री राम की वापसी का स्वागत करने के लिए वहां की प्रजा ने दीपक जलाकर अपनी खुशी व्यक्त की। दीपावली के दौरान किए जाने वाले प्रत्येक अनुष्ठान का गहरा आध्यात्मिक रहस्य है। दीपावली का त्योंहार आध्यात्मिक दृष्टिकोण से व्यक्तिगत जीवन में स्वशासन व आत्मिक सम्प्रभुता की पुर्नस्थापना का प्रतीक है। यह उत्सव मनाने की सार्थकता तभी है जब इसकी पवित्रता को समझकर उसे आत्मसात किया जाए।

दीपावली से काफी दिन पहले से ही घरों में साफ-सफाई, रंग-रोगन, मरम्मत व नवीनीकरण की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दीपावली हमें हमारे मन-बुद्धि को स्वच्छ करने का संदेश देती है। लेकिन हम केवल अपने घरों और कार्यस्थल की स्थूल सफाई तक ही सीमित रह जाते हैं। वास्तव में हमें काम, क्रोध, आलोचना, आक्रोश, घृणा और ईर्ष्या आदि अनेक दूषित संस्कारों को मिटाकर अपना हृदय स्थल शुद्ध करने की भी आवश्यकता है । समस्त नकारात्मक संस्कारों का बोझ हमारे मनोबल को दिन-प्रतिदिन कमजोर कर रहा है। इसलिए अपने अन्तःकरण को शांति, प्रेम और करुणा रूपी गुणों से सुसज्जित करने के साथ साथ अपने विचार, वाणी और आचरण को भी स्वच्छ करना अनिवार्य है। आत्म स्वच्छता का यह अभ्यास प्रतिदिन किया जाना चाहिए ताकि अन्ततः हम ऐसी अवस्था प्राप्त करें जहां हमारा तन और मन सम्पूर्ण शुद्ध, निर्मल, पावन और शक्तिशाली हो जाए। नियमित रूप से ध्यान व योग साधना के अभ्यास द्वारा बुद्धि को आध्यात्मिक ज्ञानयुक्त बनाने से यह अवस्था प्राप्त होती है।

दीपावली के दौरान एक दूसरे के साथ उपहार, शुभकामना और आशीर्वाद का आदान-प्रदान भी किया जाता है। आध्यात्मिक रूप से यह त्योंहार हमें एक दूसरे को सशक्त बनाने का अलौकिक संदेश भी देता है। शुभकामना और आशीर्वाद एक मनोक्रिया है जो शक्तिशाली शुद्ध ऊर्जा के प्रकम्पन हमारे विचारों में उत्पन्न करते हुए शब्दों के माध्यम से व्यक्त होती है।

हम सभी ने अनुभव किया है कि संतों से माता-पिता से, शिक्षकों से, परिवार के सदस्यों और मित्रों से प्राप्त आशीर्वादों व शुभकामनाओं ने हमारे जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है । आर्शीवाद व शुभकामनाएं हर बुरे संस्कार को बदलने की शक्ति प्रदान करती है । किन्तु केवल एक त्योहार पर ही नहीं, बल्कि हर दिन हमें अपने शुद्ध विचार और शब्दों के माध्यम से औरों को आशीर्वाद व शुभकामनाएं देनी चाहिए, क्योंकि आशीर्वाद और शुभकामनाएं देना ही इन्हें प्राप्त करने की सबसे सरल विधि है ।

मिट्टी के दीपक जलाना दिपावली की सबसे महत्वपूर्ण परम्परा है। हम देखते हैं कि एक दीपक जलकर अन्धकार को दूर करता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से हमारे मन में जमे हुए अहंकार के कारण उत्पन्न अज्ञान अन्धकार दूर करने के लिए आत्मा रूपी दीपक प्रज्ज्वलित करने की आवश्यकता है ।

दीपक हमारे भौतिक शरीर का प्रतीक है, इसमें जलने वाली बाती आत्मा का प्रतिनिधित्व करती है और घृत अथवा घी आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक है। दीपक की लौ निर्विघ्न रूप से जलती रखने के लिए हमें अपने हर विचार, शब्द और कर्म में दिव्य गुणों रूपी घी को डालते रहना चाहिए ताकि हम आत्माएं सदा प्रकाशित रहें । ज्ञान का यह प्रकाश हमें अन्य आत्माओं को प्रकाशित करने की शक्ति भी देता है।

दीपक के माध्यम से दीपावली का एक और महत्वपूर्ण सन्देश यह भी है कि प्रत्येक दीपक रूपी शरीर में आत्मा का प्रतिनिधित्व करने वाली लौ एक समान ही रहती है । इसका तात्पर्य यह है कि हमारी भौतिक पहचान, स्थिति, लिंग, राष्ट्रीयता और धर्म से परे हम सभी आत्माएं ज्योति स्वरूप में एक समान हैं।

दीपावली पर पटाखे फोड़ने की परम्परा का भी आध्यात्मिक रहस्य है।अक्सर हम अपने शब्दों से व कर्म व्यवहार से अपने ही परिवार के सदस्यों, मित्र सम्बन्धियों के मन को आहत करते हैं, उन्हें मानसिक चोट पहुंचाते हैं। अहंकार का प्रभाव प्रबल रूप से आक्रोश उत्पन्न करके हमें भावनात्मक रूप से कमजोर करता है और हम दूसरों के प्रति नकारात्मक विचारों के बंधन में बंध जाते हैं। दीपावली पर पटाखों के माध्यम से हमें पिछली चोट को खत्म करने का सन्देश मिलता है। जैसे एक लौ पटाखों की पूरी लड़ी को फोड़ सकती है, उसी तरह केवल एक शुद्ध, दिव्य और श्रेष्ठ विचार द्वारा हम अपने दुखद अतीत को भूलकर उसके प्रभाव से उत्पन्न दर्द के बोझ को समाप्त कर सकते हैं। एक ही शुद्ध विचार हमें हमारी भूल स्वीकार करने, गलती पर क्षमा मांगने और दूसरों की गलती पर उन्हें क्षमा करना सिखाता है । शुद्ध विचारों की लौ द्वारा हम समस्त नकारात्मक मनोभाव, भ्रान्ति, कटूता व मनमुटाव रूपी दूषित संस्कारों को विस्फोट करके नष्ट कर देते हैं।

व्यवसायी पुराने वित्तीय खातों का निपटान कर नए शुरू करते हैं। यह प्रतीकात्मक है कि हम अपने पुराने कर्मों के हिसाब-किताब, विवादों को सुलझाकर, खुद को और एक-दूसरे को क्षमा करके अपने रिश्तों को प्यार, विश्वास और सम्मान के स्पंदनों से भर देते हैं। दीपावली पर हम श्री लक्ष्मी जी का आह्वान करते हैं, उनका पूजन करते हैं । इसका भी आध्यात्मिक रहस्य है । लक्ष्मी अर्थात् धन की देवी । मनोभ्रान्ति के वश होकर हमारे सुखद जीवन का आधार हमने स्थूल धन की प्रचूरता को बना लिया है, इसीलिए हम श्री लक्ष्मी जी का आह्वान करते हैं ।

यदि आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो निरन्तर खुशी, स्वास्थ्य और आपसी सद्भाव का अनुभव होते रहना ही सुखी जीवन का आधार है जिसके लिए प्राथमिक रूप से कभी स्थूल धन की आवश्यकता नहीं होती । दिव्य गुणों के आधार पर सोचने, व्यवहार करने, कर्म करने और जीने के तरीकों को अपनाने के लिए सदा अपने हृदय द्वार पर उपस्थित रहना ही आध्यात्मिक दृष्टि से श्री लक्ष्मी जी का आह्वान है । तो आइए, दीपावली के इन आध्यात्मिक रहस्यों के अनुरूप अपने भीतर आत्मदीप प्रज्जवलित कर अन्तर्मन में फैले अज्ञान अंधेरे पर विजय प्राप्त करें और अपनी आंतरिक दुनिया (मन, बुद्धि और संस्कार) पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के समान सुशासन चलाएं। – मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान मोबाइल नम्बर 9460641092

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