करवा चौथ के व्रत को, आतुर हुई मैं नारी,
हृदय में शुभ पुष्पों की, खींची मैंने क्यारी।
भोजन पानी से रहित, रखी अपनी काया,
सूर्योदय से चंद्रोदय तक, व्रत मैंने अपनाया।
देव समान धर्मपति पर, अटूट मुझे विश्वास,
मेरे हृदय देश के भीतर, उनका ही निवास।
कभी ना टूटे डोर मेरी, बांधी जो उनके संग,
जन्म जन्म पाऊं उनको, रिश्ता ना हो भंग।
मैं करूं आपकी सेवा, मेरी रक्षा करो आप,
भरो मेरे व्रत में शक्ति, मिट जाए हर संताप।
आपके विश्वास पर मैं, खरी उतर दिखाऊं,
वीरवती का सम्बोधन, आपसे ही मैं पाऊं।
करूं आपके खातिर, करवा चौथ का व्रत,
मेरी मनोकामनाएं, होगी अवश्य स्वीकृत।
– मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर
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