क्या होता है पिता, यह अहसास होता है तब।
बनता है जब कोई पिता, अनाथ कोई होता है जब ।।
क्या होता है पिता——————।।
रहकर मुफलिसी में पिता, बच्चों को भूखे नहीं रखता।
छुपा लेता है अपने दर्द और आँसू, खुश बच्चों को वह रखता।।
भूलाकर बच्चों की गलती ,पिता ही देता है प्यार।
बच्चों के सुख के लिए , पिता झुका भी देता है नभ ।।
क्या होता है पिता ————————।।
देख नहीं सकता पिता, बहते आँसू बच्चों के ।
पिता ही करता है साकार, सपने अपने बच्चों के।।
तड़प उठता है पिता , देखकर बच्चों पे मुसीबत।
ऐसे में हिम्मत बच्चों को , पिता ही देता है तब।।
क्या होता है पिता——————–।।
चमन बच्चों को मानकर , रखता है खिलते हुए।।
सितारें जीवन के मानकर, रखता है चमकते हुए।
इतराता है सबसे ज्यादा, पिता ही अपने बच्चों पर।
पिता ही है संकटमोचक, पिता ही है बच्चों का रब ।।
क्या होता है पिता———————-।।
– गुरुदीन वर्मा.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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