आओ सब एक हो चले,
अपने लक्ष्य की और
आगे बढ़ चले,
फिर कोई आएगा,
आपके इरादों को,
कुचल कर चला जाएगा,
मैं फिर भी कहूंगा,
आओ सब एक हो चले,
सब कुछ भुलाकर,
खुद को निशावर कर,
जो आगे बढ़ जाएगा,
वहीं इंकलाब लाएगा,
फिर कोई आएगा,
आपके हौसलें को गिराएगा,
मैं फिर भी कहूंगा,
आओ सब एक हो चले,
हमारी हिम्मत से अगर जो
टकराएगा,
वह खुद भी चैंन की नींद,
कहां सो पाएगा,
फिर कोई आएगा,
आपकी आवाज को दबाएगा,
मैं फिर भी कहूंगा,
आओ सब एक हो चले,
अगर कोई हमें तोड़ने,
की बात करेगा,
दबी हुई आवाज में,
अपने ही गीत गाएगा,
फिर मैं कहूंगा,
इनको ही तोड़ दो।
– दीपक राही, आरएसपुरा,
जम्मू , (जम्मू कश्मीर)