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दूसरों से व्यवहार करे सोच समझकर कर – झरना माथुर

Neerajtimes.com , देहरादून जैसा की सर्वविदित है कि मनुष्य को पृथ्वी पर ईश्वर की सबसे बुद्धिमान रचना माना जाता है, क्योंकि वह समाज में रहता है और वह एक सामाजिक प्राणी है, और साथ ही उसके अनुसार सोचने, बात करने और कार्य करने की क्षमता रखता है।  व्यक्ति जन्म से ही सम्बंध विकसित करने की प्रक्रिया में जुड़ जाता है। इस परस्पर सम्बंध के अनेक रूप हो सकते हैं। सम्बंध परिवार में हो सकता है, पड़ोसियों में हो सकता है, एक साथ काम करने वाले लोगों में हो सकता है और इस संबंध का आधार होता है आपसी जुड़ाव। इसलिए, उसे समाज में रहने वाले लोगों को अपने कार्य हेतु दूसरे लोगों पर निर्भर, एवं उनके कार्य करने के लिए हम निर्भर होते है। हम जहा रह्ते है या जिस भाषा को बोलते है उसी भाषा के द्वारा आपस में बातचीत करते हैं। इसी बातचीत को ही  हम व्यवहार कहते हैं। ये व्यवहार एक ही प्रजाति के भीतर दो या दो से अधिक जीवों के बीच का व्यवहार हो सकता है  ये व्यवहार कई प्रकार का होता है। हम अपने व्यवहार को मौखिक रूप से,लिखित रूप से या सांकेतिक रूप से भी व्यक्त कर सकते है।

सजीव प्राणी अपना अस्तित्व बनाए रखने के निमित्त कई प्रकार की प्रतिक्रियाएँ करता है। उसके व्यवहार को देखकर हम प्राय: अनुमान लगाते हैं कि वह किस परिस्थिति विशेष के लगाव से ऐसी प्रतिक्रिया करता है। जब एक चिड़िया पेड़ की शाखा या भूमि पर चोंच मारती है, तो हम झट समझ जाते हैं कि वह कोई अन्न या कीट आदि खा रही है। जब हम उसे चोंच में तिनका लेकर उड़ते देखते हैं, तो तुरंत अनुमान लगाते हैं कि वह घोंसला बना रही है। इसी प्रकार मानवीय शारीरिक व्यवहार से उसके मनोरथ तथा स्वभाव आदि का भी पता लगता है।

व्यवहार क्या है ? व्यवहार  हमारे शब्द हैं जो सामने वाले व्यक्ति को एक भावनात्मक रूप से, हमसे जोड़ती हैं। व्यवहार हमारी शब्दावली हैं, जो हमारी ज़बान क्या हैं बतलाती हैं। विभिन्न देशों  मे अपनी-अपनी भाषा में एक- दूसरे से व्यवहार करते है।

व्यव्हार करने से पहले हमे ये देखना चाहिये कि हम जहा रह्ते है। वहा का माहौल क्या है? हमे उसे समझना चाहिये।वहा पे रहने वाले लोग कैसे है। उसी के आधार पर हमे लोगों से बात करना चाहिये। अगर हम कही किसी के घर गये है या अपने ही घर मे कभी किसी विशेष परिस्थिति मे वातावरण को समझकर ही हमे उचित व्यवहार करना चाहिये। हमारे परिवार मे बच्चे,बड़े और बुजुर्ग सभी लोग होते है। हमे सभी से प्रीति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए। सामान्यता  देखा जाता है कि बच्चो और बुजुर्गों दोनो का व्यवहार एक सा ही हो जाता है और अब आजकल स्त्रियाँ भी नौकरियां करती है। वो भी जब घर में आती है तो वो भी थकी होती है और घर-बाहर दोनों जगह के काम का दवाब होता है।ऐसे में स्त्रियाँ  अपने कुशल  व्यवहार के आधार पर ही  घर और बहार दोनो जगह सामन्जस्य बना पाती  है।  अगर कोई बच्चा पड़ाई मे अच्छे नंबर नही ला पा रहा है तो ऐसे समय मे अभिभावको ओर शिक्षक दोनो की जिम्मेदारी हो जाती है वो उसे डाटने की जगह ये जानने का प्रयास करे कि ऐसा क्यूँ हो रहा है कहा क्या कमी है।

माता-पिता को अपने बच्चों को इस बात की शिक्षा देनी चाहिए कि उन्हें परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों, शिक्षकों आदि के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए और दूसरों के विचारों का सम्मान करना चाहिए। हमे घर के कामो मे सहायता करने वाले सहायको के साथ भी पारिवारिक  व्यवहार करना चाहिये और उसकी भी समस्याओं को सुनना चाहिये। कभी कभी हम उसकी परेशानी जाने बिना ही अनजाने मे गलत व्यवहार कर जाते है।

शहरों की भाग दौड़ वाली ज़िंदगी में कई लोग इस बात को जानते ही नहीं है कि उनके पड़ोस में कौन रहता है ,लेकिन हमे सदेव अपने पडोसियों से अच्छा व्यव्हार रखना चाहिए क्योंकि अगर अचानक किसी व्यक्ति पर कोई मुसीबत आ जाएं और उसके घर में कोई दूसरा व्यक्ति मौजूद न हो तो ऐसे में सबसे पास उसका पड़ोसी ही होता है।

एक अच्छा पड़ोसी वही होता है जो अपने पड़ोसियों का सुख दुःख में साथ दें और उनकी छोटी छोटी खुशियां बाटे  और बुरे समय में साथ खड़ा रहे | अगर आपको अपने पड़ोसी की कोई बात पसंद नहीं आ रही है । ऐसे में आपको अपने पड़ोसी को प्यार से समझाना चाहिए , क्योंकि अच्छे पड़ोसी एक दूसरे की बात को सहज़ता से समझ जाते है | ससुराल मे आयी नई बहू को अपने रिश्तों के अनुसार  सोच समझ कर उचित व्यव्हार करना चाहिये। जिससे वो ससुराल में अपनी एक अच्छी पहचान बना पाये और हर सदस्य से खुद को जोड़ पाये। कभी कभी जीवन मे परिस्तिथिया विषम हो जाती है। जिस कारण किसी व्यक्ति का व्यवहार अनुचित हो सकता है। किन्तु हमे शान्त रहकर परिस्थिती को समझकर कुशलतापूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

किसी टीम का हर व्यक्ति यदि  दक्ष हो तो अपने आपको साबित करना मुश्किल होता है। ऐसे में आपका अच्छा व्यवहार आपको अन्य लोगों से अलग खड़ा करेगा और आपकी उन्नति में भी सहायक होगा और आपको अलग पहचान भी दिलाएगा।

यदि आप कोई व्यवसाय करते है तो आपका अच्छा व सरल व्यवहार न केवल आपके वर्तमान ग्राहकों को बनाए रखेगा अपितु नए ग्राहक भी आपसे आसानी से जुड़ेंगे। अच्छे व्यवहार से घर के सदस्यों के लिए एक अच्छा उदाहरण बन सकते हैं। यह तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब आप माता-पिता के रूप में अपने बच्चे में अच्छे गुणों का विकास करते हैं। इस बात का लगातार ध्यान रखें कि घर में आपका आचरण अच्छा है। और साथ-साथ बाहर भी। इससे आप आश्चर्यजनक ढंग से ख्याति एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे।

दूसरों के आचरण पर ध्यान न देते हुए यदि हम  सदैव सबसे अच्छा व्यवहार करते हैं तो निश्चय ही हमारी अलग पहचान होगी। उसके आधार पर दूसरों को चाहे वह आपका होने वाला साथी हो, सीनियर हो या फिर बिलकुल अनजान व्यक्ति, सबको प्रभावित कर सकेंगे। अपने कार्यस्थल पर आपके अच्छे व्यवहार का प्रदर्शन आपके सहकर्मियों में अच्छी छवि बनाएगा।  और अन्त में मै ये कहना चाहूंगी कि  व्यवहार के नियमों का यह एक आदर्श वाक्य है। जो मनुष्य, समाज व देश के अनुसार व्यवहार करेगा वह हमेशा उन्नति को प्राप्त करेगा और जो इसके विपरीत व्यवहार करेगा, वह उन्नति के स्थान पर अवनति को प्राप्त होगा।व्यवहार  से ही मनुष्य के मनोरथ तथा स्वभाव आदि का भी पता लगता है। व्यव्हार मे अपने शब्दों का चुनाव होशियारी और समझदारी से करे।जब भी बोले सोच  समझ कर बोले।

– झरना माथुर , देहरादून , उत्तराखंड

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