सोचती हूँ जिंदगी मे प्यार का मारा मिला।
भीगती आंखो को फिर से इक नया सपना मिले ।
प्यार करते हम बड़ा ही, आपसे सुन लो जरा।
सोचते हर हाल मे तू आँख का तारा मिले।
बात दिल की हम कहेगें, है छुपे जज्बात को।
हो मिलन अब साथ तेरे,आज ये मौका मिले।
प्यार तेरा है मिला अब क्या खुदा से हम कहे।
मैं करूँ बस अब दुआ ये साथ अब रहना मिले।
जिंदगी के मोड़ पर अब सोचती हूँ मैं कभी
है दुआ बस आज मेरा हमसफर तुमसा मिले।।
– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़