मनोरंजन

ढोकलाम विवाद (भाग – 2) – जसवीर सिंह हलधर

भारत का मान घटाने को ,तू अपना मान बढ़ाने को !

भूटानी सीमा में घुसकर ,आया तू सड़क बनाने को !!

 

जल सेना ताकत ज्ञान नहीं ,थल सेना आफत भान नहीं !

जाटों का हमला ज्ञात नहीं ,सिक्खों का अमला ज्ञात नहीं !

गढवाली क्या देखे लड़ते ,रण चंडी खप्पर ले चढ़ते !

तू मर्द मराठे देख जरा ,यदुवंशी पटठे देख जरा !

गुरखों का टोला आता है , दुश्मन का शीश उड़ाने को !!1!!

 

तूने भारत को जाना क्या ,तू सही सही पहचाना क्या !

राणा के वंशज देख खड़े ,अकबर के अंशज देख खड़े !

घट घट में राम समाए हैं ,हम परशुराम के साये है !

यह धरा लाल हो जाएगी ,कल का सवाल हो जाएगी !

पूरी दुनियाँ फिर कोसेगी ,ड्रैगन की जात मिटाने को !!2!।

 

ये इतना भीषण रण होगा ,दोनों के लिये क्षरण होगा !

धरती अंबर सब डोलेंगे ,शिव नेत्र तीसरा खोलेंगे !

जब मान सरोवर में शंकर ,फूटेंगे हो कंकर कंकर !

धरती पानी  पानी होगी ,तेरी ज्यादा हानी होगी !

भारत की ताकत का तुझको ,आया अंदाज कराने को !!3!!

 

हुंकार तू सुन ले रघुपति की ,ललकार देख ले नगपति की !

जापान लड़ेगा भारत संग ,दक्षिण कोरिया भी करे जंग !

तेरी गति वापस मोडन को ,बाडेन खड़ा मुँह तोड़न को !

तेरा न चिन्न बच पायेगा,तू छिन्न भिन्न हो जाएगा !

वंशज हूँ विश्व गुरु का मैं ,आया हूँ पाठ पढाने को !!4!!

 

झगड़ा क्या देखे ओर छोर ,मत बात राड की बढ़ा और !

कुछ हासिल क्या कर पाएगा ,व्यापार ठप्प हो जाएगा !

दोनों की जनसंख्या भारी ,दोनों पर ही ज़िम्मेदारी !

ये धरा हरी सिंह नलवा की ,कविता है “हलधर”कलवा की !

सब देश ताक में बैठे हैं ,हम दोनों के भिड़ जाने को !!5!!

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

(ओज कवि जसवीर सिंह हलधर, देहरादून की ये कविता इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज़ काव्य संग्रह “अमर जवान ज्योति “से है)

 

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