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आंध्र प्रदेश सरकार ने विशाखापत्तनम में दुनिया के सबसे बड़े समुद्र-तट सफाई अभियान का संचालन किया

आंध्र प्रदेश सरकार ने पार्ले फॉर द ओशन्स के साथ मिलकर विशाखापत्तनम में दुनिया के सबसे बड़े समुद्र-तट सफाई अभियान के संचालन के साथ “वंडर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” में अपना नाम दर्ज कराते हुए एक बार फिर से महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। गोकुल समुद्र-तट से भीमली समुद्र-तट तक – 28 किमी लंबे इलाके में बड़े पैमाने पर संचालित इस सफाई अभियान में 22,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया। सबसे बड़े स्वच्छता अभियान के तहत 76 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा एकत्रित किया गया।

आंध्र प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री, श्री जगन मोहन रेड्डी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के अवसर पर देश की दूसरी सबसे बड़ी तटरेखा के वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं की रक्षा के साथ-साथ राज्य के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की हिफाज़त के लिए किए गए प्रयासों की खुलकर तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि, फलते-फूलते पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना हर नागरिक और सरकार की ज़िम्मेदारी है।

प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ चल रही मुहिम में माननीय मुख्यमंत्री ने स्वयं आगे बढ़कर राज्य में प्लास्टिक फ्लेक्सी बैनरों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का आह्वान किया है। माननीय मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अब से फ्लेक्सी बैनर पर पूर्ण प्रतिबंध लागू होगा और लोगों को इसके बदले में कपड़े का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए, भले ही इसकी कीमत थोड़ी ज़्यादा हो।

माननीय मुख्यमंत्री श्री जगन मोहन रेड्डी ने घोषणा करते हुए कहा, “हमने प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए यह कदम उठाया है। तिरुमाला में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम पहले से ही प्लास्टिक मुक्त नीति पर अमल कर रहा है, जिसके नतीजे काफी अच्छे रहे हैं। वहाँ प्लास्टिक की थैलियों के बजाय कपड़े से तैयार की गई थैलियों का इस्तेमाल किया जाता है। हम पूरे राज्य में इसे लागू करने के लिए धीरे-धीरे कदम उठा रहे हैं और प्लास्टिक के बजाय वैकल्पिक सामग्रियों के इस्तेमाल के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। वर्ष 2027 तक राज्य को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए ये सभी प्रयास किए जा रहे हैं।”
आंध्र प्रदेश सरकार और वैश्विक गठबंधन के रणनीतिक भागीदार – ‘पार्ले फॉर द ओशन्स’ निम्नलिखित परिणाम हासिल करने की दिशा में साथ मिलकर काम करेंगे

•    पूरे राज्य में बेहतर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को विकसित करना एवं उसे लागू करना
•    एआईआर (AIR) स्टेशनों को काम में लगाना: प्लास्टिक के उपयोग से परहेज करना, इस्तेमाल बंद करना और रीडिज़ाइन करना। प्रति मंडल और स्थानीय निकायों में 500 से अधिक एआईआर (AIR) स्थापित किए जाएंगे
•    प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने में मदद के लिए 10 इको-इनोवेशन हब स्थापित किए जाएंगे
•    समुद्र तट के किनारे, नालियों, सिंचाई के साधनों तथा नदियों में प्लास्टिक के निपटान की रोकथाम करना, प्रदूषण पर अंकुश लगाना
•    लगभग 20,000 समुद्री योद्धाओं को संगठित करना और उन्हें प्रशिक्षण देना
•    6 वर्षों के दौरान 2 बिलियन डॉलर (16,000 करोड़ रुपये) का निवेश
•    20,000 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना, जिनमें से प्रत्येक को देय न्यूनतम राशि 16,000 रुपये होगी
•    प्लास्टिक और रिसाइकिल की गई सामग्रियों के उपयोग के लिए एक कॉर्पोरेट नेटवर्क तैयार करना – रिसाइकिल किए गए प्लास्टिक के उपयोग के लिए कंपनियों से जुड़ना

आंध्र प्रदेश सरकार ने वर्ष 2027 तक राज्य को पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त बनाने के उद्देश्य से पार्ले फॉर द ओशन्स के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो की  ग्लोबल नेटवर्क का एक हिस्सा है। माननीय मुख्यमंत्री श्री जगन रेड्डी ने इसे एक महत्वाकांक्षी परियोजना बताते हुए कहा कि, देश और दुनिया में किसी ने भी ऐसी उपलब्धि नहीं हासिल की है और सरकार को खुशी है कि इन प्रयासों से वर्ष 2027 तक राज्य को प्लास्टिक प्रदूषण मुक्त बनाना अवश्य संभव होगा।

माननीय मुख्यमंत्री ने कहा, “52 मिलियन लोगों की आबादी और 976 किमी की तट-रेखा वाले इस राज्य ने बड़े पैमाने पर अपनी तरह की इस अनोखी पहल के जरिए जो उपलब्धि हासिल की है, वैसा दुनिया में इससे पहले कभी किसी ने नहीं किया है। मैं रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग का काम संभालने के उद्देश्य से ‘पार्ले सुपर हब’ की स्थापना के लिए पार्ले के सीईओ, श्री साइरिल गुस्टेच को धन्यवाद देता हूँ। यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, और अब हम आंध्र प्रदेश का चेहरा और वैश्विक मंच पर राज्य के परिदृश्य में सकारात्मक तरीके से बदलाव लाने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।”

पार्ले फॉर द ओशन्स ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ जंग की शुरुआत कर दी है ताकि इसे जल्द से जल्द खत्म किया जा सके, जिसमें सिर्फ रिसाइकिलिंग ही नहीं, बल्कि रीडिजाइनिंग और हानिकारक सामग्रियों के बदले नई सामग्रियों का उपयोग करना तथा तरीकों और सोच में बदलाव लाना भी शामिल है।

इस मौके पर पार्ले फॉर द ओशन्स के सीईओ, श्री साइरिल गुस्टेच ने कहा, “प्लास्टिक डिजाइनिंग की असफलता को दर्शाता है। कभी न खत्म होने वाली इस त्रुटिपूर्ण सामग्री को नियंत्रित करने का कोई तरीका नहीं है। इसी वजह से पार्ले फॉर द ओशन्स वस्तुओं के उपयोग में बदलाव की क्रांति का आह्वान करता है और अपने सभी सहयोगियों और भागीदारों को पार्ले एआईआर (AIR) रणनीति: अवॉइड (परहेज करना), इन्टर्सेप्ट (बंद करना), रीडिज़ाइन (पुन: डिज़ाइन करना) पर अमल करने के लिए आमंत्रित करता है।

पार्ले ने “पार्लेज़ फ्यूचर इंस्टीट्यूट” के शुभारंभ का भी फैसला किया है। अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं वाला यह संस्थान अपनी तरह का अनोखा अनुसंधान केंद्र होगा, जहाँ भविष्य में इस्तेमाल की जाने वाली नई सामग्रियों पर शोध किया जाएगा। इस केंद्र में एकत्रित किए गए प्लास्टिक का अध्ययन किया जाएगा और इसे इस तरह से नया स्वरूप दिया जाएगा, जो आंध्र प्रदेश के साथ-साथ पार्ले को दुनिया में अग्रणी बनाएगा।

माननीय मुख्यमंत्री ने कहा, “हम वर्ष 2027 तक प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लक्ष्य के साथ देश में आगे बढ़कर इस मुहिम की अगुवाई करना जारी रखेंगे और दुनिया के सामने एक मिसाल कायम करेंगे।”

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