गोविंद से बड़ा होता गुरु है।
ब्रह्मा, विष्णु , महेश भी गुरु है।।
माँ- बाप सा प्यार देता गुरु है।
जगत की ज्योति होता गुरु है।।
गोविंद से बड़ा—————।।
नहीं हो घमंड, जिसको किसी का।
अपने ज्ञान, अपने धर्म-जाति का।।
मन से नहीं मैला होता गुरु है।
नेकी की राह पर चलता गुरु है।।
गोविंद से बड़ा——————।।
शिष्यों में भेदभाव करता नहीं है।
जाति-धर्मों में, नफरत भरता नहीं है।।
इंसानियत की पूजा करता गुरु है।
सभी धर्मों का आदर करता गुरु है।।
गोविंद से बड़ा———————।।
लालच नहीं हो जिसको धन का।
जो आईना हो निःस्वार्थ मन का।।
पाखंडी कभी नहीं होता गुरू है।
अंधविश्वास जगत में मिटाता गुरु है।।
गोविंद से बड़ा———————–।।
देशभक्ति सिखाता है अपने शिष्यों को।
संस्कार भी सिखाता है अपने शिष्यों को।।
अपना कर्म दिल से करता गुरू है।
रखवाला वतन का भी होता गुरु है।।
गोविंद से बड़ा————————।।
– गुरुदीन वर्मा आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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