मनोरंजन

तुम ही तो हो रक्षक हमारे – ममता जोशी

पूज्य पिता जी तुम हमारे हो रक्षक ,

दृढ़ता के परिचायक हो तुम,

चिन्तक और विचारक हो तुम,

नीति नियम के तुम हो शिक्षक।

मित्र तुम्हीं, तुम ही हो रक्षक,

थे वाणी से मधुर हमेंशा,

सागर जैसा तुममें था धीरज,

तुम्हें ही रहती थी सदा फ़िकर,

दिखाते नहीं थे बस कभी मगर।

एक सशक्त किरदार थे तुम,

सुरक्षित एक दीवार थे तुम,

क्षण में करते थे कष्टों का दमन,

हे पिता! तुम्हें है सदा नमन!

आज पुण्य तिथि पर है वंदन,

अभिनंदन चंदन स्तवन ।।

– ममता जोशी “स्नेहा”

सुजड़ गांव प्रताप नगर,

टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड

Related posts

दुविधा – सुनील गुप्ता

newsadmin

गजल – ऋतु गुलाटी

newsadmin

आज़ादी का महापर्व – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

Leave a Comment