सारे जहाँ से अच्छा देश हमारा
सात समुद्र देख लिए
सप्त पर्वत छान लिए
धरा पर नहीं कोई ऐसी
अनुपम छटा देखी निराली
अद्भुत तिरंगे की शान है
वीरों की बसती जान है
हिमाच्छादित हिमालय विशाल
कानन कुसुमित मनोहर कमाल
कलकल करती सदानीरा
शस्य श्यामला धरती का कोना
धन्य धान्य से परिपूर्ण है
विभिन्नता में एकता अनमोल है
तिरंगे में लहराये माँ का आंचल
पैरों में लहराता हिन्द सागर
ऊँ नाद कहीं, अजान स्वर कहीं
गुरुवाणी में ज्ञान सुनाये कहीं
भारत माता की जय घोष से
वसुधा गर्वित हो इठलाये यहीं
जन्में इस धरा पर मानव तन में
सदियों का भाग्य उदय हुआ जीवन में
– रश्मि मृदृलिका, देहरादून , उत्तराखंड