मनोरंजन

मानसरोवर- संगम त्रिपाठी

मन है काशी,

शिव है विश्वासी।

धाम सकल है सुन्दर,

मेरे प्रभु है कैलाश वासी।

मन है गंगा,

भाव मय तुलसी।

वाणी है सत्यम,

जटाधारी जय अविनाशी।

मन मानसरोवर,

शिव ही सुख राशि।

सृष्टि है सुंदरम,

शिव सबके गुरु अधिशासी।

मन है रामायण,

चित दास तुलसी।

नाथ हैं त्रिलोकी,

संकट नहीं आ सकती जरा सी।

– कवि संगम त्रिपाठी, जबलपुर, मध्यप्रदेश

Related posts

कमी के समय कीमतों में कमी लाये सरकारी बफर स्टॉक – प्रियंका सौरभ

newsadmin

ग़ज़ल – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

गजल. – रीता गुलाटी

newsadmin

Leave a Comment