उत्तराखण्ड

गजल – ऋतु गुलाटी

 

नजर से नजर को मिलाकर तो देखो

अजी चाहतो को  सजा कर तो देखो।

 

हमे तो तुम्हारा नजारा न मिलता

कभी के है भटके ,बुलाकर तो देखो।

 

मिरी मुफलिसी का तुम्ही आसरा हो।

जरा ये नजर को उठाकर तो देखो।

 

हमी इक नजारा खुशी से बताये।

मिले साथ तेरा बनाकर तो देखो।

 

जहाँ मुझसे कहता,तुम्ही तो मिरी हो।

भूलोगे न *ऋतु को चुराकर तो देखो।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

वर्षा जल संरक्षण और भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं

newsadmin

3 वर्षो से निर्विवाद विरासतन दर्ज कराने को भटक रहे फरियादी की, मौेक पर दर्ज कराई खतौनी

newsadmin

जी-20 में जेंडर एंड करप्शन विषय पर विचार विमर्श किया गया

newsadmin

Leave a Comment