मनोरंजन

ग़ज़ल – ऋतु गुलाटी

कत्ल कर रहे अरमां वो, हमे शिकायत है।

कुछ कहा नही मैने क्या यही शराफत है।।

 

प्यार आज करते है आपसे सुनो छलिया।

आप भी करे  हमसे आपकी इनायत है।।

 

पूजते खुदा माने,आज हम पिया तुमको।

मान कर सदा मूरत कर रहे इबादत हैं।।

 

आज सोचते थे हम क्या हुआ गुनां हमसे।

जिंदगी लगे हमको कर रही अदावत है।।

 

संग रह सजन,तुमसे दूर हो न पायेगे।

*ऋतु नसीब तेरा मेरा,रहा सलामत है।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

2471 सम्मान,पुरस्कार उपाधि-प्रशस्ति-प्रमाण पत्रों से सम्मानित डॉ0 अशोक ‘गुलशन’’

newsadmin

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

newsadmin

कविता – रोहित आनंद

newsadmin

Leave a Comment