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गीत – जसवीर सिंह हलधर

मैं सेना का एक सिपाही , तुम मंत्री की राजकुमारी ।

हो भी गया लगन तो बोलो ,क्या संबंध निभा पाओगी ।।

 

मैं उस सरहद का वासी हूँ ,मौत रोज देती है न्योता ।

बापू भी घाटी ने सटका , दादा का इकलौता पोता ।

जीवन कोई खेल नहीं है ,हम दोनों का मेल नहीं है ,

हो भी गया मिलन तो बोलो ,क्या अनुबंध निभा पाओगी ।।1

 

मेरी वर्दी हरे रंग की , जिसमें बसते हैं अंगारे ।

तुम पहनो परिधान विदेशी ,जड़े हुए हैं चाँद सितारे ।

मेरी रात आग औ पानी , तुम हो कैफे की दीवानी ,

दे भी दिया वचन तो बोलो ,क्या सौगंध निभा पाओगी ।।2

 

मेरा जन्म देश की खातिर ,काम सदा करना रखवाली ।

मंत्री जी का कोष भरा है , भले देश में हो कंगाली ।

मैं नगपति का एक पुजारी , तुम सागर की राजदुलारी ,

हो भी गया हवन तो बोलो, क्या प्रतिबंध निभा पाओगी ।।3

 

इतनी दानी नही जिंदगी  , हर भूखे को रोटी दे दे ।

कोई मंत्री नहीं देश में , जो सैनिक को बेटी दे दे ।

मेरा जीवन सरल नहीं है , ठोस शिला है तरल नहीं है ,

बन भी गया भवन तो बोलो ,क्या गृहबंध निभा पाओगी ।।4

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून, उत्तराखंड

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