मैं सेना का एक सिपाही , तुम मंत्री की राजकुमारी ।
हो भी गया लगन तो बोलो ,क्या संबंध निभा पाओगी ।।
मैं उस सरहद का वासी हूँ ,मौत रोज देती है न्योता ।
बापू भी घाटी ने सटका , दादा का इकलौता पोता ।
जीवन कोई खेल नहीं है ,हम दोनों का मेल नहीं है ,
हो भी गया मिलन तो बोलो ,क्या अनुबंध निभा पाओगी ।।1
मेरी वर्दी हरे रंग की , जिसमें बसते हैं अंगारे ।
तुम पहनो परिधान विदेशी ,जड़े हुए हैं चाँद सितारे ।
मेरी रात आग औ पानी , तुम हो कैफे की दीवानी ,
दे भी दिया वचन तो बोलो ,क्या सौगंध निभा पाओगी ।।2
मेरा जन्म देश की खातिर ,काम सदा करना रखवाली ।
मंत्री जी का कोष भरा है , भले देश में हो कंगाली ।
मैं नगपति का एक पुजारी , तुम सागर की राजदुलारी ,
हो भी गया हवन तो बोलो, क्या प्रतिबंध निभा पाओगी ।।3
इतनी दानी नही जिंदगी , हर भूखे को रोटी दे दे ।
कोई मंत्री नहीं देश में , जो सैनिक को बेटी दे दे ।
मेरा जीवन सरल नहीं है , ठोस शिला है तरल नहीं है ,
बन भी गया भवन तो बोलो ,क्या गृहबंध निभा पाओगी ।।4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून, उत्तराखंड