जल्दी का शोर – एक लड़का अजीब तरीके से चल रहा था लोकल पकड़ने के लिए भागने में असफल हो रहा था, एक ट्रेन गई तो दूसरी ट्रेन आ गई. उसमे भी वो चढ़ नही पाया। सभी हैरान थे कि क्या बात है, ये रोज ही जाने वाला आदमी आज अभी भी यही खड़ा है। पूछने पर पता चला वो जल्दी जल्दी में छोटे भाई कि पेंट पहनकर आ गया है।
पूजा – दादी रोज ही नहा धोके सुबह सुबह अपनी पूजा करती है।
बहु सुधा को शुगर है और वो सुबह-सुबह पूजा के फूलों की पॉलीथीन की बेसब्री से इंतज़ार करती हैं, क्यूँकि पूजा के फूलों के साथ-साथ बेलपत्ती, तुलसी भी बहुत जरुरी होती हैं और दादी तो फूलों की पॉलीथीन को किसी को हाथ भी लगाने नहीं देती, अब सुधा क्या करे?
अब तक दादी पूजा कर चुकी हैं, फूल – पत्ती भगवान को चढ़ा देती है, और उसकी आँखे बंद करके माला जपने लगी, सुधा ने तभी भगवान से प्रार्थना करके सारी पत्तियाँ उठाली और शांति से चली गई। दादी भी खुश, सुधा भी खुश और भगवान भी खुश।
गोसिप – महिलाएं तब भी बीज़ी थी जब कोरोना आ चुका था, तब ऑनलाइन होती थी अब ऑफ लाइन चालू हो गई है, कोरोना का डर जो ख़त्म हो गया। स्कूल के गेट पर धमाल मची हुई है बच्चों को छोड़ के अब उनकी तो चांदी हो गई है।
अब बच्चे वापस आने तक किटी, ब्यूटी पार्लर, शॉपिंग मॉल और भी मनोरंजक गोसिप के लिए हर जगह मंडरा रही हैं।
– जया भराडे बडोदकर, न्यू मुंबई, महाराष्ट्र